
मैं क्यों लिखता हूँ
मैं क्यों लिखता हूँ ! कवी: नजार क़ब्बानी हिंदी अनुवाद: तबरेज़ अहमद लिखता हूँ, ताकि धमाका कर सकूँ, क्योंकि, लिखना ही धमाका करना है | लिखता हूँ, ताकि अंधेरे पर रौशनी की जीत हो सके, क्योंकि कविता करना ही विजय हासिल करना है | लिखता हूँ, ताकि पढ़ सके मुझे पेड़ पौधे और गेहूं के…